ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं बताइए

ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं

1. हथियार एवं उपकरण

उत्खनन से प्राप्त हथियार और उपकरणों के अध्ययन के आधार पर यह पाया गया कि ताम्र पाषाण काल में मानव ने पाषाण और ताम्र दोनों से बने दोनों से बने उपकरण से इस्तेमाल करते थे. इस काल के उपकरण आकार में कुछ छोटे होते थे. इसी वजह से इस काल को लघु पाषाण काल भी कहा जाता है.

ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं

2. कृषि

ताम्र पाषाण काल में लोगों के जीवन में स्थायित्वता आने लगी थी. जिसके कारण उन्होंने कृषि करना आरंभ कर दिया था. इस काल के भारतीय मानव ने कृषि के लिए हल का प्रयोग करना आरंभ कर दिया. वे चावल, गेहूं, बाजरा, उड़द आदि की खेती किया करते थे.

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3. पशुपालन

कृषि के साथ-साथ ताम्र पाषाण काल में मानव ने पशु पालन करना भी आरंभ कर दिया था. इस काल में मुख्य रूप से गाय, बकरी, बैल, ऊंट, गधा आदि को पालतू बनाया जाता था. बैल, ऊंट और गधे का इस्तेमाल सामान ढोने के लिए किया जाता था.

ताम्रपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं

4. मिट्टी के बर्तन

उत्खनन के परिणामस्वरूप मिट्टी से बने प्याले, तश्तरियाँ, घड़े तथा अन्य बर्तन के प्राप्त होने से यह स्पष्ट होता है कि इस काल के लोग मिट्टी से बने बर्तनों का इस्तेमाल करते थे. इस काल में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के बर्तन, नवपाषाण काल के बर्तनों की तुलना में अधिक तराशा हुआ और खूबसूरत होते थे. इस काल के बर्तनों में पशु-पक्षियों तथा फूल-पत्तियों के आकृतियां बनी होती थी. इससे यह बात पता चलता है कि इस काल में चित्रकला भी विकसित होने लगी थी.

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5. व्यवसाय एवं यातायात के साधन

ताम्रपाषाण कालीन भारतीय मनुष्यों का प्रमुख व्यवसाय कृषि, पशुपालन, सूत-काटना, कपड़े बुनना आदि था. इस काल में व्यापार वस्तु विनिमय के माध्यम से होता था. यातायात के साधन के रूप में नौका और पशुओं के द्वारा खींचे जाने वाली गाड़ियां होती थी.

6. गृह निर्माण

उत्खनन के परिणाम स्वरूप मिले अवशेषों से पता चलता है कि इस काल में मनुष्य घास-फूस से अपने घरों का निर्माण किया करते थे.

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7. धर्म

उत्खनन से प्राप्त अवशेषों के आधार पर हमें यह भी पता चलता है है कि ताम्रपाषाण कालीन मानव देवी-देवताओं और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा करते थे. उत्खनन से इस काल के ताबीज प्राप्त होने, मोहरों पर पशु का आकृति होने से यह पता चलता है कि तत्कालीन मानव जादू-टोने पर विश्वास करते थे. इसके अलावा वे मातृदेवी की उपासना भी किया करते थे. वे मृतकों का कब्र में अंतिम संस्कार करते थे. कब्रों में मिट्टी के बर्तन एवं ताम्र के उपकरण मिलने से इस बात का संकेत मिलता है कि वे परलोकवाद पर भी विश्वास करते थे.

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