बॉक्सर विद्रोह के क्या कारण थे? इस विद्रोह के क्या परिणाम हुए?

बॉक्सर विद्रोह

चीन के इतिहास मेचीन के इतिहास में बॉक्सर विद्रोह का बहुत ही बड़ा चीन के इतिहास में बहुत ही बड़ा महत्व है. यह विद्रोह इ-हो-चुआन  नामक गुप्त संस्था से संबंधित था. इस संस्था के सदस्यों ने 1899 में चीन के अंदर से विदेशियों को बाहर निकालने के लिए एक विदेशी विरोधी अभियान चलाया. इस अभियान के में मुक्का मार कर विदेशियों को भगाने की कोशिश की गई. इसी कारण इसे बॉक्सर विद्रोह कहा जाता है.

बॉक्सर विद्रोह

बॉक्सर विद्रोह के कारण

1. विदेशी विरोधी भावना

विदेशी शक्तियों के साथ चीन का युद्ध में लगातार पराजय होने के कारण चीन विदेशी शक्तियों का एक अड्डा बन गया था. चीन में पश्चिमी साम्राज्यवाद का शिकंजा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था. चीन में इस प्रकार विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप का बढ़ते जाना चीन की नागरिकों को नागवार गुजरने लगे थे. इसी बीच चीन के बहुत से छात्र विदेशों में जाकर उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए करने चले गए. उन्होंने विदेशों में वहां की शिक्षण व्यवस्था, राजनीतिक व्यवस्था, सभ्यता और संस्कृति एवं का भी अध्ययन किया. उन्होंने इसकी तुलना अपने देश के तत्कालीन राजनीतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक स्थिति के साथ तुलना करना आरंभ कर दिया. इसके बाद उन्होंने अपने देश की दुर्दशा का कारण इन विदेशी विदेशियों को पाया. उन्होंने इन विदेशियों को बाहर देश से बाहर निकालने की योजना बनाने शुरू कर दिया. इसके अंतर्गत उन्होंने बहुत से सुधार योजना और आंदोलन आरंभ किए. लेकिन उसके सुधार योजना को विदेशियों ने नाकाम कर दिया. इससे चीनी नागरिकों में यह विश्वास बढ़ गए कि चीन की सुधार काम में विदेशी शक्तियां अरोड़ा अटका रहे हैं. अतः देश में विदेशी शक्तियों के विरुद्ध एक विरोध की लहर उठने लगी. चारों तरफ एक ही नारा गूंजने लगा देश को बचाओ, विदेशियों को नष्ट करो.

बॉक्सर विद्रोह

2. चीनी सरकार की निर्बलता

चीन में इस समय मांचू सरकार शासन कर रही थी. वह विद्रोह को दमन करने के लिए अक्सर विदेशी शक्तियों से मदद मांगती थी. इससे मांचू सरकार की निर्बलता स्पष्ट हो गई. इससे चीन के अंदर से यह आवाज उठने लगी थी कि विदेशी शक्तियों के साथ गठबंधन करके देश चलाने वालों को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है. इसी बीच चीन की यालू नदी पर भीषण बाढ़ आई. इससे जान-माल का अत्यधिक नुकसान हुआ. चीनी सरकार बाढ़ पीड़ितों की मदद करने में पूर्णतः नाकाम रही. इससे चीनी सरकारी कमजोरी और स्पष्ट हो गई और जनता में आक्रोश की भावना बढ़ने लगी.

3. चीन पर विदेशी शासन की स्थापना की भय

चीनी सरकार की कमजोर स्थिति और चीन में विदेशी शक्तियों के बढ़ते प्रभाव को देखकर चीनी नागरिकों में देश की सत्ता विदेशियों के हाथों में जाने का भय सताने लगा. इसी दौरान पश्चिमी देशों ने भारत, फिलीपीन्स, वर्मा जैसे देशों में अपनी सत्ता स्थापित कर चुकी थी. यह देखकर चीनी नागरिकों में देश को विदेशियो के हाथ में जाने से बचाने की भावना प्रबल होने लगी थी.

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4. यूरोपिय पूंजीपतियों के प्रति घृणा

यूरोपीय चीन में व्यापार करने के लिए आए थे. लेकिन धीरे-धीरे वे चीन के संपूर्ण व्यापार को अपने नियंत्रण में ले लिए. देश के प्रमुख उद्योग जैसे -रेलवे और खानों पर यूरोपीय पूंजीपतियों ने अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया.ऐसे में चीनी लोगों के मन में यूरोपीय पूंजीपतियों के प्रति घृणा की भावना बढ़ने लगी. लेनिन के अनुसार चीनी यूरोपीय लोगों से नहीं वरना उन यूरोपीय पूंजीपतियों से घृणा करते थे जो उनके देश में उनके व्यापारिक हितों को मार रहे थे.

5. धार्मिक कारण

बाॅक्सर विद्रोह का एक धार्मिक कारण भी था. चीन में विदेशी व्यापारियों के साथ-साथ इसाई धर्म प्रचारक और पादरी भी आए थे. वे चीन में इसाई धर्म का प्रचार करते गए और चीन में इसाईयों का प्रभुत्व बढ़ता चला जा रहा था. बड़ी संख्या में चीनी नागरिक इसाई धर्म अपनाने लगे.इन चीनी इसाईयों को विदेशों से कई सुविधाएं मिलने लगी थी. ये चीनी इसाई चीन की प्राचीन सभ्यता और संस्कृतियों का खंडन करने लगे थे. ऐसे में चीनी लोगों के मन में इन इसाईयों के प्रति क्रोध की भावना बढ़ने लगी थी. इसके अलावा विदेशी इसाई मिशनरियों ने चीनी इसाईयों के पक्ष में वकालत करना भी शुरु कर दिया था. वे चीनी इसाईयों के मुकदमों के फैसलों में भी दखल देती थी. इस सबके कारण चीनियों के मन में आक्रोश बढ़ता चला गया. विनाकी के अनुसार बाॅक्सर विद्रोह सबसे पहले स्थानीय चीनी इसाईयों के विरुद्ध किया गया था. 

बॉक्सर विद्रोह

बाॅक्सर विद्रोह के परिणाम

बाॅक्सर विद्रोह असफल रहा. इस विद्रोह को विदेशी ताकत की मदद से कुचल दिया गया. ये विद्रोह चीन की भविष्य की राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत ही दूरगामी प्रभाव पड़ा. बाॅक्सर विद्रोह के निम्नलिखित परिणाम हुए:-

1. चीन की जन हानि

विद्रोह की शुरुआत होते ही चीनी इसाईयों के घरों में लूटपाट की जाने लगी तथा बहुत से इसाई धर्म प्रचारकों की हत्या कर दी गई. हालात बेकाबू होने लगी. नतीजतन विदेशी सेनाओं को हस्तक्षेप करना पड़ गया. सेना ने विद्रोहियों का दमन करने के लिए कई गांवों और नगरों को जला दिया. बड़ी संख्या में लोग मार डाले गए. व्यापक जान-माल की क्षति हुई.

2. चीन में विदेशी ताकत का मजबूत होना

विद्रोह को कुचलने के बाद 7 सितम्बर 1901 को चीन और पश्चिमी देशों के बीच के संधि हुई. इस संधि को बाॅक्सर प्रोटोकॉल के नाम से जाना जाता है. इस संधि के तहत क्षतिपूर्ति के रूप में चीन को 45 करोड़ ताएल देना पड़ा. दूतावासों की सुरक्षा के लिए विदेशी सेना को तैनात कर दिया गया. इसके अलावा बहुत से ऐसे फैसले लिए गए जिसके कारण चीनी सरकार की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई और पूर्ण रूप से विदेशियों पर आश्रित हो गया. 

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3. 1911 ई की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार होना

बाॅक्सर विद्रोह भले ही असफल हो गया था लेकिन इसने 1911 ई की चीनी क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार कर दी. बाॅक्सर विद्रोह के बाद हुए संधि के बाद चीनी सरकार पूर्णतः विदेशियों पर निर्भर हो गई थी. इस वजह से चीनी नागरिकों में असंतोष की भावना बढ़ती चली गई. चारों ओर सरकार की निंदा होने लगी. चीनी लोगों के मन में अब विदेशी ताकत के हाथों की कठपुतली बनी सरकार को उखाड़ फेंकने की इच्छा और भी प्रबल होने लगी. इसी के परिणाम स्वरूप चीन में 1911 की क्रांति हुई.

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 धन्यवाद.

2 thoughts on “बॉक्सर विद्रोह के क्या कारण थे? इस विद्रोह के क्या परिणाम हुए?”

  1. Chaliye kisi me to achhe se samjhane ki lagan hai. Aapne bahut achhe se samjhaya hai sir. Thank you. Aise hi content dalte Rahiye aapka blog hit hai.

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