मौर्य साम्राज्य
चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित मौर्य साम्राज्य ने देश में एक विशाल मौर्य साम्राज्य की स्थापना की. इससे देश के सीमाओं का विस्तार हुआ. चंद्रगुप्त मौर्य के उत्तराधिकारी मौर्य साम्राज्य के वैभव को और बढ़ाते गए, लेकिन सम्राट अशोक के बाद मौर्य साम्राज्य का पतन हो गया.
मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण
1. निर्बल एवं अयोग्य उत्तराधिकारी
इतिहासकारों के अनुसार मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण सबसे बड़ा कारण सम्राट अशोक के उत्तराधिकारियों का निर्बल और अयोग्य होना. वे अपने शासन प्रणाली को सम्राट अशोक के समान मजबूत बनाने में असफल रहे. इसी वजह से साम्राज्य से मौर्य शासकों का नियंत्रण खत्म होने लगा और मौर्य साम्राज्य पतन की ओर लगातार अग्रसर होते चला गया. अंतत: यही मौर्य साम्राज्य का पतन के कारण बना.
2. कमजोर केंद्रीय शासन
सम्राट अशोक के उत्तराधिकारियों के अयोग्य और कमजोर होने के कारण केंद्रीय शासन दुर्बल हो गया. इन शासकों का अपने अधिकारियों पर नियंत्रण ही नहीं रहा. इसी वजह से वे अपने साम्राज्य से नियंत्रण खोते चले गए और ऐसे में विरोधियों को देश में षड्यंत्र करने और शासक के प्रभाव को नष्ट करने में का मौका मिल गया. केंद्रीय शासन के कमजोर होने के बाद मौर्य साम्राज्य बिखर गया.
3. साम्राज्य का विभाजन
मौर्य साम्राज्य की केंद्र की सत्ता के कमजोर होने के कारण बहुत से प्रांतों ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी. कई प्रांतों में विद्रोह होने लगी. इन विद्रोह को दबाने में केंद्रीय सत्ता नाकाम रहा. परिणामस्वरूप कई प्रांत स्वतंत्र हो गए. ऐसे में मौर्य साम्राज्य का पतन की शुरुआत हो गया.
4. प्रांतीय गवर्नरों का अत्याचार
कमजोर केंद्रीय सत्ता के कारण बहुत से प्रांतीय गवर्नर अपनी मनमानी पर उतर आए. वे जनता पर अत्याचार करने लगे थे. इससे जनता में असंतोष का भावना बढ़ते चला गया. जिनकी वजह से जनता विद्रोह पर उतर गए और धीरे-धीरे यहां की जनता पर शासकों का नियंत्रण कम होता चला गया. इससे मौर्य साम्राज्य का पतन की ओर बढ़ता चला गया.
5. प्रजा का विद्रोह
इतिहासकारों के मुताबिक इस समय तक मौर्य साम्राज्य में गवर्नर रूम के अत्याचारों के अतिरिक्त अन्य समस्याएं भी उभर कर आने लगी. मौर्या शासक इस समस्याओं का निदान कर पाने में नाकाम रहे. नतीजतन जनता विद्रोह पर उतर आई. इससे साम्राज्य की शक्ति कमजोर होते चली गई. जिससे मौर्य साम्राज्य का पतन तेजी से होता चला गया.
6. अत्याचारी शासक
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक सम्राट अशोक के कुछ उत्तराधिकारी अत्यंत अत्याचारी थे. वे जनता पर मनमानी अत्याचार करते थे. वे अपने निरंकुश शासन के द्वारा जनता को अपने नियंत्रण में रखना चाहते थे. ऐसे में जनता ने विरोध की आवाज को बुलंद की.
7. दरबार का षड्यंत्र
मौर्य साम्राज्य के दरबार के लोग अलग-अलग गुटों में बैठे हुए थे. वे अपने हित और स्वार्थ के लिए आपस में संघर्ष करते रहते थे. इस वजह से दरबार में कई षड्यंत्र जन्म लिए. इन्हीं षड्यंत्रों के कारण साम्राज्य को कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. ऐसे में साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होता चला गया.
8. विदेशी आक्रमण
मौर्य साम्राज्य को धीरे-धीरे कमजोर होते देखकर कई विदेशी शक्तियों ने मौर्य साम्राज्य पर आक्रमण करना शुरू कर दिया. मौर्य साम्राज्य के शासक इन आक्रमण उनको रोकने में नाकाम रहे और धीरे-धीरे बहुत से आक्रमणकारियों के लिए मौर्य साम्राज्य पर हमले करने के दरवाजे खुलते चले गए. वे दुश्मनों से मौर्य साम्राज्य का रक्षा नहीं कर पाए. परिणामस्वरुप मौर्य साम्राज्य का पतन धीरे-धीरे होते चला गया.
9. अहिंसात्मक नीति
कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया. बौद्ध धर्म के सिद्धांत अहिंसावादी होने के कारण सम्राट अशोक ने अहिंसावादी नीति को अपनाया और उन्होंने सैन्य शक्ति पर ध्यान देना बंद कर दिया. युद्ध की जरुरत नहीं होने के कारण सैनिकों की संख्या कम होती चली गई. इसकी वजह से उसकी सेना धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई. इसके बाद जब यूनानी आक्रमणकारी मौर्य साम्राज्य पर आक्रमण किए तो कमजोर पड़ चुकी मौर्य सेना इसका सामना नहीं कर सकी और अपने साम्राज्य की रक्षा करने में नाकाम रहे.
10. राष्ट्रीयता की भावना की कमी
डॉ. रोमिला थापर जैसी इतिहासकारों का मानना कि इस समय मौर्य साम्राज्य के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना की कमी थी. इसी वजह से साम्राज्य में एकता बनाए रखने की भावना नहीं पनप पाया. यही वजह से यूनानी आक्रमण के दौरान संगठित होकर प्रतिशोध करने की कोशिश नहीं की गई.
11. आर्थिक कारण
इतिहासकारों के मुताबिक मौर्य साम्राज्य आर्थिक कठिनाइयों से होकर भी गुजरने लगा था. उनके अनुसार सम्राट अशोक के उत्तराधिकारी जनता के ऊपर नए-नए कर लगाया करते थे. इन करों के बोझ तले दबी जनता के मन में आक्रोश की भावना उत्पन्न हो गए और वह विद्रोह करने लगे. उनका भरोसा शासकों पर से बिल्कुल ख़त्म हो गया. इन्हीं वजह से मौर्य साम्राज्य के पतन शुरू हो गया.
12. ब्राह्मण प्रतिक्रिया
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था. इसके साथ ही उन्होंने ब्राह्मण धर्म की उपेक्षा भी की. नतीजतन ब्राह्मण समुदाय में असंतोष की भावना उत्पन्न होने लगी. वे धीरे-धीरे मौर्य साम्राज्य का तथा उनके धर्म के प्रति हो रहे भेदभाव का विरोध करना शुरू कर दिए. नतीजतन यहां की जनता में दीक्षा होने लगा. इतिहासकारों के मुताबिक पुष्यमित्र का विद्रोह, सम्राट अशोक के द्वारा ब्राह्मण धर्म के लिए पक्षपात पूर्ण नीति का ही परिणाम था.
इस प्रकार शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य का अंत हो गया. मौर्य साम्राज्य के पतन के संभवत: इनके और भी विभिन्न कारण हो सकते हैं. मौर्य साम्राज्य के अंत के साथ ही पुष्यमित्र शुंग ने साम्राज्य पर अपना एकाधिकार स्थापित कर लिया.
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