रूस की क्रांति 1905 ई. के असफलता के कारण और महत्व को स्पष्ट कीजिए

रूस की क्रांति 1905 ई. के असफलता के कारण (Reasons for the failure of the Russian Revolution of 1905)

1905 ई. में रूस में शासन के अंदर व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने के उद्देश्य से एक क्रांति हुई थी. यह क्रांति असफल हो गई. इस क्रांति के असफलता के बहुत से कारण थे.

1. क्रांति के नेतृत्व का संगठित न होना

1925 ई. में हुई रूसी क्रांति के असफलता का सबसे बड़ा कारण क्रांति का नेतृत्व संघ का संगठित ना होना. रूस के राजनीतिक दल अलग-अलग समुदायों में उपस्थित थे  क्रांति के दौरान भी अपने अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा के कारण संगठित नहीं हो पाए. क्रांतिकारियों के दलों में से एक दल मध्यमार्गी उदारवादियों का दल था. ये दल जार की अक्टूबर के घोषणा पत्र का समर्थन कर रहा था. दूसरा दल सोशल डेमोक्रेटिक दल था जो कि ड्यूमा का अधिवेशन बुलाने के पक्ष में था. इस प्रकार क्रांतिकारियों की अलगाववादी तथा विरोधी विचारधारा ने मजदूरों के मन में बहुत बुरा प्रभाव डाला. इसके अलावा विद्रोह होने के समय भी अलग-अलग थे. कई स्थानों में कुशल नेतृत्वकर्ता के अभाव में आपसी फूट पड़ गई. इन कारणों से शासन को क्रांति में फूट डालने और उनको कुचलने में आसानी से सफलता मिली.
रूस की क्रांति 1905 ई. के असफलता के कारण और महत्व

2. सर्वहारा और कृषक वर्ग के तालमेल का अभाव

क्रांति के समय सर्वहारा और कृषक वर्ग के बीच पूरी तरह तालमेल का अभाव था. यह क्रांति असफलता के लिए बहुत बड़ा कारण सिद्ध हुआ. कृषक वर्ग को अब भी यह उम्मीद थी कि जार की कृपा और ड्यूमा का निर्णय ही उनकी स्थिति को सुधार सकती है. उनको इस बात का यकीन था कि उनको जार और ड्यूमा की कृपा से अधिक जमीन मिल सकती है. उनकी यही सोच के कारण क्रांति के समय उन्होंने ढुलमुल रवैया अपनाया और क्रांति में खुलकर साथ नहीं दिए. इस कारण क्रांति को पूरी तरह कृषकों का समर्थन नहीं मिल पाया.

3. सैनिकों का ढुलमुल रवैया

क्रांति के प्रति कृषकों की तरह सैनिकों का भी ढुलमुल रवैया था. कई स्थानों में सैनिक भी क्रांति में विद्रोहियों का साथ दिया. लेकिन कई स्थानों में सेना और नौसेना पूर्ण क्रांति के पक्ष में नहीं थी. इन बातों से स्पष्ट था कि सैन्य संगठन भी शासन में कुछ बदलाव के पक्षधर थे लेकिन पूरी तरह नहीं. अतः सैनिक क्रांति का अल्प समर्थन करने के साथ-साथ क्रांतिकारियों के मजबूत क्षेत्रों में क्रांतिकारियों के विरूद्ध कारवाई भी करने लगे. ऐसे में क्रांति कमजोर होती चली गई.
रूस की क्रांति 1905 ई. के असफलता के कारण और महत्व

4. जार को विदेशी सहायता

1905 ई. के रूसी क्रांति को देखकर बहुत से पूंजीवादी देशों के कान खड़े हो गए. उन्होंने इस क्रांति से अपने हितों पर खतरा महसूस किया. अतः इन देशों ने इस क्रांति को कुचलने के लिए जार की मदद करने का फैसला किया. सबसे पहले जर्मन सम्राट कैसर विलियम द्वितीय ने इस क्रांति का दमन करने के लिए जार के लिए मदद भेजी. इसके बाद आस्ट्रिया और फ्रांस जैसे देश भी जार की मदद करने के लिए आगे आए. इस देशों की मदद से जार के लिए इस क्रांति को कुचलने और भी आसान हो गया.

5. नौकरशाही का जार को समर्थन

इस क्रांति की आग को फैलते देखकर नौकरशाही वर्ग बुरी तरह घबरा गया क्योंकि इस क्रांति की सफलता का अर्थ था उनके हितों को गंभीर खतरा पहुंचना. अतः इस वर्ग ने भी क्रांति के खिलाफ जार की खुलकर मदद की. इस प्रकार इन सबके समर्थन मिलने के कारण जार इस क्रांति का दमन करने में सफलता प्राप्त की. 
रूस की क्रांति 1905 ई. के असफलता के कारण और महत्व
 
इस प्रकार हम पाते हैं कि 1905 ई. में हुई रूस की क्रांति के असफलता के पीछे बहुत से कारण थे. इनमें मुख्य रूप से क्रांतिकारियों के बीच केन्द्रीय नेतृत्व का अभाव, पारस्परिक एकता की कमी, जार को विदेशी पूंजीवादी देशों की सहायता, जार को नौकरशाही वर्ग का समर्थन आदि मुख्य थे. इसके सबसे कारण अंततः यह क्रांति असफल हो गई.
 

रूस की क्रांति का महत्व (Importance of Russian Revolution)

1905 ई. में हुए रूसी क्रांति भले ही असफल हुई लेकिन इसके बहुत ही दूरगामी परिणाम हुए. इसके परिणाम न केवल रूस को बल्कि संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया.

1. मजदूर वर्ग के मन राजनीतिक चेतना में वृद्धि

1905 ई. में हुए रूसी क्रांति के बाद मजदूर वर्ग के मनों में राजनीतिक चेतना में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई. उनके मन में जार के प्रति सम्मान की भावना, जार की श्रेष्ठता संबंधी बातों से उनका भ्रम टूट गया. इस क्रांति के दौरान मिले अनुभवों से उनको इस बात का यकीन हो गया कि किसी भी क्रांतिकारी आंदोलन में अगुआ या नेतृत्व कर्ता के रूप में सर्वहारा वर्ग को ही निभानी होगी.

2. सेना और कृषक वर्ग की महत्व का स्पष्ट होना

1985 ई. में हुए रूसी क्रांति में सेना एवं कृषक वर्ग के क्रांति के पक्ष में अस्पष्ट तथा ढुलमुल रवैया था. इसके कारण यह क्रांति पूरी तरह आसफल हो गई थी. अब स्पष्ट हो गया कि किसी भी आंदोलन तथा क्रांति में सफलता प्राप्त करने के लिए कृषक वर्ग तथा सेना को क्रांति के पक्ष में लाना अत्यंत आवश्यक है. इन के सहयोग के बिना क्रांति में सफलता हासिल नहीं की जा सकती.

3. सोवियत निकायों का महत्व स्पष्ट होना

1905 ई. में हुई क्रांति में सोवियत निकायों ने जिस प्रकार लड़ाई लड़ी, उससे उसका महत्व स्पष्ट हो गया. अब यह स्पष्ट हो गया कि मार्क्स और लेनिन के अनुगामियों की पार्टी (बोल्शेविकों की पार्टी) ही अविचलित है. इसी पार्टी को केन्द् में रखकर अन्य निकायों को एक झंडे के नीचे सफलतापूर्वक लाया जा सकता है.
रूस की क्रांति 1905 ई. के असफलता के कारण और महत्व

4. अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर आंदोलनों पर प्रभाव

रूस में हुए इस क्रांति ने अंतरष्ट्रीय मजदूर आंदोलन को बहुत प्रभावित किया. यह आंदोलन यूरोप के विभिन्न देशों के श्रमिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया. रूस में हुए खूनी रविवार की घटना ने संपूर्ण यूरोप के मजदूरों के कान भी खड़े कर दिए. उनको अब लगने लगा की जो रूस में मजदूरों के साथ हुआ वह उनके साथ भी हो सकता है. अत: रूस के अनुभवों ने यूरोप के अन्य देशों के मजदूर आंदोलनकारियों के एकता की आवश्यकता को स्पष्ट कर दिया. अब यूरोप के देशों में “जो रूस में हुआ, वह हमारे यहां भी होगा” का नारा गूंजने लगा. 

5. 1917 ई. के रूसी क्रांति का मार्ग प्रशस्त करना

1905 ई. में हुई क्रांति की असफलता ने क्रांति में हुई खामियों को उजागर कर दिया. इसीलिए 1917 ई. हुई क्रांति में इस खामियों को दूर करने की कोशिश की गई. बहुत से इतिहासकार 1905 ई.  की क्रांति को 1917 ई. में हुए क्रांति का पूर्वाभ्यास के रूप में देखते हैं. यदि 1905 ई. की क्रांति सफल हो जाती तो 1917 ई. की क्रांति नहीं होती. लेनिन का भी कहना है कि “1905 ई. के सवेश पूर्वाभ्यास के बिना 1917 ई. में अक्टूबर क्रांति का विजय असंभव होती.”  इन बातों से स्पष्ट है कि 1905 ई. में हुए रूसी क्रांति ने विश्व इतिहास को बहुत ही दूरगामी परिणाम दिए. 
 

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