हिटलर की गृह नीति
हिटलर ने जर्मनी की सत्ता अपनी शक्ति के बल पर हासिल की थी. जब से उसने जर्मनी की सत्ता संभाली, उसने शुरु से ही अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए हिंसा और आतंक का सहारा लिया. इसके अलावा उसने सैन्य प्रदशनों, झूठे वायदों और छल पूर्ण उपायों का भी सहारा लिया. हिटलर ने अपने गृह नीति के तहत जर्मनी में बहुत सा कार्य किया.
हिटलर ने अपने गृह नीति के तहत निम्न कार्य किए
1. विरोधियों का दमन
हिटलर ने अपने गृह नीति के अंतर्गत सबसे पहले अपने विरोधियों का दमन करना शुरू किया. लिप्सन उनके अनुसार हिटलर ने अपने विरोधियों का दमन इस तरह किया जैसे कि कसाई खाने पशुओं का वध किया जाता है. उसके मुख्य रूप से दो ही शत्रु थे- साम्यवादी (कार्ल मार्क्स के अनुयायी) तथा यहूदी. हिटलर के अनुसार यहूदी पूरी दुनिया के दुश्मन हैं वह कहता था कि जो यहूदियों को मारता है, वह अच्छा कार्य करता है. उसने समाजवादियों और यहूदियों को कैद खाने में डाल दिया. कैदियों को कारावास में कठोर दंड दिया जाता था. उनको नाजी दल की सदस्यता ग्रहण करने को कहा जाता था. इंकार करने पर उन पर बेइंतहा जुल्म किया जाता था. इनके अलावा हिटलर ने रोमन कैथोलिक ईसाई समुदाय पर भी जुल्म करना दमन किया क्योंकि वे पोप के प्रति अपनी श्रद्धा रखते थे जो कि हिटलर को बर्दाश्त नहीं था कि उसके होते हुए जर्मन नागरिक किसी और की भक्ति करे. कैटल बी के अनुसार हिटलर ने न केवल साम्यवादियों, यहूदियों और कैथोलिकों पर जुल्म ढाये, बल्कि उसने लगभग सभी वर्ग के लोगों पर जुल्म किया था. उसके जुल्म के आतंक से त्रस्त होकर लाखों लोग जर्मनी छोड़कर भाग गए.
2. एक व्यक्ति का शासन
हिटलर ने जर्मनी के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों पदों को एक में मिला दिया ताकि वह जर्मनी पर अकेले शासन कर सके. 1935 ई. में वह जर्मनी का राष्ट्रपति बन गया. उसने हरमन गोरिंग को अपना गृह मंत्री बनाया. पुलिस विभाग को नाजियों से भर दिया. उसने जोजेफ गोवलन को प्रचार मंत्री बनाया और उसके द्वारा उसने पूरे जर्मनी में नाजी दल के सिद्धांतों का प्रचार किया. पार्लियामेंट्री शासन को भंग करने के लिए धारा सभा की शक्तियों को क्षीण कर दिया गया. जर्मनी का कानून बनाने का अधिकार केवल हिटलर तक ही सीमित कर दिया गया. गवर्नर की नियुक्ति भी हिटलर के द्वारा ही की जाती थी. उसने परामर्श समितियों की स्थापना की, जो उसी की इच्छा के अनुसार काम करती थी. उसने जर्मन संघ के सभी राज्यों की विधानसभा को भंग कर दिया.
3. धार्मिक क्षेत्र
हिटलर हमेशा एक व्यक्ति के शासन पर विश्वास करता था. धर्म के मामले में भी वह जर्मनी के अंदर दूसरी सत्ता का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं कर सकता था. रोमन कैथोलिक समुदाय के लोग पोप के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति रखते थे. हिटलर को यह स्वीकार नहीं था कि जर्मनी का एक भी निवासी जर्मन से बाहर की सत्ता की आदेश का पालन करें. यही कारण उसने कैथोलिकों पर भी अत्याचार किए. उसने बाइबल के संदर्भ में नई व्याख्या की और प्रोटेस्टेंट ईसाईयों के गिरजाघर की व्यवस्था भी केंद्र शासन के अंतर्गत निर्धारित कर दिया गया. उसने लुडविंग मूलर को इसका नया अध्यक्ष घोषित किया जिसने जर्मन की कल्पना पर अधिक जोर दिया.
4. शिक्षा
हिटलर का मानना था कि जर्मन को छोड़कर कोई भी आर्य नहीं है. अत: उसने सभी सरकारी पदों विद्यालयों विश्वविद्यालय आदि स्थानों से गैर आर्यन जाति लोगों को पदच्युत कर दिया. गैर आर्यन लोगों को स्कूलों कॉलेजों तथा अन्य सरकारी संस्थानों के सभी सुविधाओं से वंचित किया गया. स्कूल कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में नाजी दल के सिद्धांतों को पढ़ाया जाने लगा. उनके वीरगाथाओं का बखान किया जाने लगा. जनता के सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर भी कड़ी निगाह रखी जाने लगी. पत्रकारिता, रेडियो, संगीत, फिल्म, साहित्यों और कलाओं पर भी कड़ी नियंत्रण रखी जाने लगी.
5. आर्थिक क्षेत्र
प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की करारी हार के बाद उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही नाजुक हो गई थी. वर्साय की संधि कर जर्मनी पर युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में भरकम धन चुकाने के लिए दबाव डाला गया. अत: हिटलर जर्मनी को फिर से आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना चाहता था. उसने मई 1934 ई में एक नियम बनाकर रैली, हड़ताल आदि पर रोक लगा दी थी. उसने लेबर ट्रस्टी नामक संस्था की स्थापना की ताकि श्रमिक वर्ग की समस्याओं का समाधान किया जा सके तथा उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके. बेगारी की समस्या को दूर करने के लिए स्त्रियों को चारदीवारी के अंदर ही रहने का आदेश दिया गया. उसने सेना में वृद्धि, लेबर कैंप की स्थापना करके 20 लाख रोजगार सृजन किया. इसके अलावा हिटलर ने यहूदियों को जर्मनी से निकाल दिया.
इसके अलावा उसने खेती को राज्य के नियंत्रण में ले लिया. उसकी कोशिश यह थी कि जर्मनी स्वावलंबी बने. अतः जो वस्तुएं विदेशों से मंगाई जाती थी, उनको स्वयं निर्माण करना शुरू कर दिया. इस कारण वस्तुओं के उत्पादन में भी काफी वृद्धि आने लगी. रोजगार भी बढ़ना शुरू हो गया. हिटलर ने अपने व्यापार के क्षेत्र में भी काफी ध्यान दिया जिससे जर्मनी ने व्यापार में भी काफी उन्नति कर ली.
हिटलर ने अपने गृह नीति के द्वारा अपने देश के स्वाभिमान में भले ही वृद्धि की लेकिन उसकी नीति ने देश के अंदर घृणा, भय, संदेह और आतंक जैसे माहौल पैदा कर दिए थे. लाखों की संख्या में लोग जर्मनी को छोड़कर भाग गए.
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प्रत्यक्ष वादी; इतिहास लेखन
Spain ke civil war ke karan Or prinam ka varnan kijiye ye question ka answer nhi mil raha h mai apke site ka answer padhte hu jo bhut he easy way mai likha rehta h thank you
बहुत-बहुत धन्यवाद जस्मीन जी! जल्दी ही आपको आपके सवाल का जवाब मिलेगा. ऐसे ही अपना प्यार बनाए रखें!